संस्कृति और संस्कार संस्कृत भाषा में निहित हैं – डॉ दिवाकर शर्मा

ग्वालियर: संस्कृत भारती ग्वालियर द्वारा प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के माधवगंज स्थित परिसर में संस्कृत सप्ताह अंतर्गत संस्कृत दिनाचरण किया गया । कार्यक्रम में मुख्य वक्ता संस्कृत भारती मध्य भारत प्रांत के प्रांत मंत्री डॉ दिवाकर शर्मा ने संस्कृत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि भारत और भारतीय संस्कृति का संरक्षण करना है तो संस्कृत रूपी मूल (जड़) का पोषण करना अनिवार्य है । उन्होंने आगे बताया कि भारत में से संस्कृति और संस्कारों को घटा दिया जाए तो शेष शून्य बचेगा । संस्कृति और संस्कार संस्कृत भाषा में निहित हैं अतःसंस्कृत का प्रचार प्रसार आज न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व की शांति के लिए आवश्यक है । संस्कृत भारती के प्रयासों से किस प्रकार लाखों लोग संस्कृत भाषा में बातचीत करना और संस्कृत ग्रन्थों का अध्ययन करना सीख रहे हैं इस पर भी उन्होंने प्रकाश डाला । भारत विरोधियों के द्वारा हमारी संस्कृति के बारे में अनेक प्रकार के भ्रम और झूठे नेरेटिव खड़े किए जा रहे हैं लेकिन संस्कृत का ज्ञान न होने के कारण हम भारतीय उनका समुचित उत्तर देने में समर्थ नहीं है । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी ने अपने उद्बोधन में वर्तमान समय में फैल रहे कुसंस्कारों के उन्मूलन के लिए ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से किये जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला एवं संस्कृत के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की ।कार्यक्रम का प्रस्ताविक रखते हुए ब्रह्माकुमारी के प्रहलाद भाई जी ने संस्कृतभारती के कार्यकर्ताओं का अभिनंदन किया । कार्यक्रम का संचालन अनिल राजावत ने एवं आभार प्रदर्शन श्री अशोक जैन ने किया । इस अवसर पर विभाग संयोजक ब्रजमोहन शर्मा महानगर मंत्री अलकेश त्रिपाठी के साथ-साथ अनिल शर्मा उमेश शर्मा डॉ बी एस राजावत आदित्य शुक्ला नरोत्तम त्रिपाठी एवं संस्कृत भारती तथा ब्रह्मकुमारी केअनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे ।

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