ग्वालियर । मनुष्य के जीवन में कई तरह के उतार चढ़ाव आते है। लेकिन जो आंतरिक गुणों और शक्तियों से मजबूत होते है। वह सहजता से उनका सामना कर आगे बढ़ जाते है। लेकिन जो लोग आंतरिक रूप से खाली होते है वह घबरा जाते है और कई बार तो तनाव मे आ जाते है। इसलिए हर व्यक्ति को थोड़ा समय अपने लिए निकालते हुए राजयोग ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। जिससे आपका मन शांत होगा। और आप जीवन में आने वाली हर तरह की चुनौती का सामना कर सकते है। उक्त बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक राजयोगी बीके प्रहलाद भाई ने गोविंदपुरी चौराहे के पास स्थित जैबो नेत्रालय में आयोजित कार्यक्रम “राजयोग ध्यान का जीवन में महत्व” विषय पर संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने आगे कहा कि आज हर व्यक्ति जीवन में खुश तो रहना चाहता लेकिन दूसरों को खुशी बांटने मे संकोच करता है। जबकि जिस गुण कि अनुभूति आपको करनी है वह दूसरों को देना चाहिए तो आपे पास स्वतः बढ़ जाएगी। खुशी चाहिए तो खुशी बांटो प्रेम चाहिए तो सभी से आरएम पूर्वक व्यवहार करो।
राजयोग ध्यान इसमें हमारी बहुत मदद करता है। कहते है कि “पेड़ न खाते कभी अपना फल” और “नदी न पीती कभी अपन जल” यह सदैव दूसरों के लिए कार्य करते है। प्रकृति से हम बहुत कुछ लेते है लेकिन प्रकृति को देते क्या है। इस पर विचार अवश्य करें। इसलिए प्रकृति से जुड़े उसकी सेवा करें तो जीवन में एक सुकून का अनुभव होगा। और यह तभी हो सकता है जब आप भागती दौड़ती जिंदगी से थोड़ा समय अपने लिए निकालें पर्यावरण से जुड़ें प्रकृति से जुड़े, साथ ही राजयोग ध्यान का अभ्यास करें।
उन्होंने आगे राजयोग ध्यान के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि यह एक सकारात्मक चिंतन कि प्रक्रिया है। ज्यादातर लोग जब ध्यान में बैठते है तो थोड़े समय के बाद उनका मन इधर उधर भागने लगता है और फिर उन्हे लगता है कि यह बहुत कठिन है यह हमसे नहीं होगा। जबकि राजयोग ध्यान बहुत ही सरल और सहज है। जिसका अभ्यास कोई भी कर सकता है। बस आवश्यकता है हमें उसको गहराई से जानने की। ब्रह्माकुमारीज के सभी केंद्रों पर यह निःशुल्क सिखाया जाता है किसी भी केंद्र पर जाकर सीख जा सकता है। कार्यक्रम के अंत में राजयोग ध्यान कि सहज विधि बताई और अभ्यास कराते हुए सभी को गहन शांति का अनुभव भी कराया।
अंत में कुछ लोगों के सवालों के जबाब भी दिए –

सवाल – क्रोध क्यों आता है ?
उत्तर – क्रोध आने का मुख्य कारण आपके अनुकूल कार्य न होना। जबकि आपके पास धैर्य होगा तो आप स्नेह प्रेम से भी अपने कार्य को करा सकते है।
सवाल – खुशी गुम होने कारण ?
उत्तर- व्यर्थ बातें या निगेटिव बातों का ज्यादा चिंतन। हर परिस्थिति में सकारात्मक सोचने की आदत डालें तो खुश रहा जा सकता है।
प्रश्न – सहन कब करना चाहिए और सामना कब करना चाहिए?
उत्तर – सहन अपनों को करना चाहिए जिनके साथ आपकी लंबी यात्रा है। जैसे परिवार के सदस्य या आपके साथी आदि। और सामना परिस्थियों का करना चाहिए।
प्रश्न – क्या राजयोग ध्यान से तनाव कम कर सकते है?
उत्तर – जी, अवश्य। ध्यान हमें सकारात्मक दिशा में सोचने के लिए मदद करता है।
प्रश्न – किसी के साथ यदि हमारा कार्मिक अकाउंट अच्छा नहीं है, तो हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर – प्रतिदिन कुछ दिनों तक थोड़ा समय ध्यान में बैठकर उसके प्रति शुभ भावना रखें थोड़े समय बाद उसका व्यवहार आपके प्रति बदल जाएगा।
इस अवसर पर अस्पताल के निदेशक और नेत्र सर्जन डॉ थॉमस, जेनी, चंद्रकांत, बी. एल. यादव, पवन जैन, लेवन, राज, सोनू, राजवीर, तनु सहित अन्य लोग उपस्थित थे।