ध्यान व्यवहार को शांत, उत्तम और श्रेष्ठ बनाकर संबंधों में सुधार लाता है – ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी

ध्यान व्यवहार को शांत, उत्तम और श्रेष्ठ बनाकर संबंधों में सुधार लाता है – ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी

ध्यान से व्यक्ति अपने मन और विचारों को नियंत्रित कर सकता है – बीके प्रहलाद भाई

संतुलित, स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने में मदद करता है – बीके डॉ गुरचरण सिंह

विश्व ध्यान दिवस पर ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर हुआ कार्यक्रम आयोजित

  • आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सुकून भरी नींद यदि चाहिए है, तो मेडिटेशन के लिए समय अवश्य निकालें। मनुष्य यदि तनाव, चिंता, भय आदि से अपने को मुक्त रखना चाहता है तो उसे प्रतिदिन मेडिटेशन या ध्यान अवश्य करना चाहिए। उक्त बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय लश्कर ग्वालियर केंद्र प्रमुख राजयोगिनी बीके आदर्श दीदी ने “विश्व ध्यान दिवस” के अवसर पर “आंतरिक शांति, वैश्विक सद्भाव” थींम के अंतर्गत, पुराना हाई कोर्ट लाईन स्थित ब्रह्माकुमारीज संगम भवन राजयोग ध्यान केंद्र पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। दीदी ने आगे कहा कि राजयोग ध्यान आत्मा के मूल गुणों सत्यता, पवित्रता, त्याग, सहनशीलता, धैर्य, दया, करुणा और सेवा आदि को जाग्रत करता है।
  • ध्यान व्यवहार को शांत, उत्तम और श्रेष्ठ बनाकर संबंधों में सुधार लाता है। तथा मन की मलिनता को दूर करता है। राजयोग ध्यान न केवल स्वयं का सत्य परिचय कराता है, वल्कि मन की तार परमात्मा से जोड़कर दिव्य शक्ति और प्रेरणा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम भी है। दीदी ने कहा कि सयुंक्त राष्ट्र ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित किया। जो मानवता की सेवा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल वैश्विक स्तर पर मेडिटेशन के महत्व को जानने में तथा लोगो को दैनिक जीवन में मेडिटेशन को अपनाने में मदद करेगी।

  • कार्यक्रम में वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके डॉ गुरचरन सिंह ने कहा कि ध्यान केवल एक साधना नहीं, वल्कि जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल हमारी मानसिक और शारीरिक समस्याओं का समाधान करता है वल्कि हमें आत्म उन्नति की ओर ले जाता है।

  • आज के जीवन में ध्यान एक वरदान की तरह है, जो हमें संतुलित, स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने में मदद करता है। उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्माकुमारीज द्वारा सिखाए जाने वाले राजयोग ध्यान से हमारा आत्म विश्वास बढ़ता है साथ ही जीवन में सकारात्मकता आती है और नकारात्मक भावनाओं से मुक्ति मिलती है।

  • कार्यक्रम में प्रेरक वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने कहा कि ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है। जिसके द्वारा व्यक्ति अपने मन और विचारों को नियंत्रित करता है। ध्यान बाहरी दुनिया से जुड़ने की बजाय व्यक्ति को अपने भीतर झांकने और आत्म विश्लेषण करने का अवसर प्रदान करता है। यह मन और आत्मा को सशक्त बनाने की प्राचीन विधि है।

  • ध्यान का मूल उद्देश्य मन को स्थिर और शांत बनाना ही है। ध्यान से स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है। बुद्धि दिव्य बन जाती है और निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ जाती है। ध्यान काफी हद तक हमें शारीरिक रुप से स्वस्थ रहने में भी मदद करता है। प्रतिदिन ध्यान के अभ्यास से मन शक्तिशाली तथा शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बनता है।

  • कार्यक्रम में लोगो के प्रश्नों के दिये जवाब –
  1. प्रश्न 1 – जब ध्यान करने बैठते है तो मन भागता क्यों है?
    उत्तर – ज्यादातर लोगों के जीवन में व्यर्थ चिंतन बहुत चलता है। अपने को कभी समय ही नहीं दे पाते। और जब कभी शांति में बैठने या ध्यान में बैठनें की कोशिश करते है तो फिर वह बातें एक साथ आती है। इसलिए प्रतिदिन थोड़ा समय अपने लिए निकाले तो आप देखेंगे कि कुछ दिन में ही आपके व्यर्थ विचारों की गति धीमी होने लगेगी। और सकारात्मक चिंतन से मन एकाग्र होने लगेगा।
  2. प्रश्न 2 – मेडिटेशन बहुत कठिन लगता है?
    उत्तर – मेडिटेशन कठिन नहीं है वल्कि बहुत सरल है। मेडिटेशन को योग या याद भी कहते है जहाँ दो चीजों का मिलन है वह योग है। जैसे माँ बेटे को याद कर रही है या बेटा माँ या पिता को याद कर रहा है। तो यह भी एक प्रकार का योग है लेकिन यह संबंधियों के साथ योग है। लेकिन जब हम स्वयं को आत्म समझ परमात्मा को याद करते है तो यह परमात्मा के साथ योग अथवा ध्यान कहेंगे।
    संबंधियों को याद करना आसान होता है, क्योंकि हम उनके साथ रहते है उनके बारे में बहुत कुछ जानते है। लेकिन परमात्मा से योग लगाना इसलिए कठिन लगता है क्योकि वह दिखाई नहीं देते। और उनके नाम, रूप, देश, काल और कर्तव्य से भी हम पूरी तरह से परिचित नहीं होते। तो जब हम उनके गुणों का चिंतन करते है उनके बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करते है। तो हम आसानी से अपने मन की तार उनसे जोड़ सकते है। क्योंकि वह हमारे परमपिता, परम शिक्षक, परम सद्गुरु है, परमपिता परमात्मा शिव निराकार ज्योतिबिन्दु स्वरूप है अर्थात एक दिव्य प्रकाश पुंज के रूप में है, वह सर्वोच्च है, सर्व शक्तिवान है, सर्वोपरि है, सर्वज्ञ है, ज्ञान गुण शक्तियों में अनंत है, दिव्य बुद्धि दाता है, दुःख हर्ता सुख कर्ता है। यह सब जानने से ही हम सहज ही उनसे जुड़ सकते है या उन्हें याद कर सकते है।
  3. प्रश्न 3 – दुनिया में कितने प्रकार के योग है।
    उत्तर – योग के अनेक प्रकार है और हर योग का अपना महत्व है।
    जैसे – राजयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग, हठयोग, आदि।
    हम यहाँ पर राजयोग की बात कर रहें है। यह वह योग है जो भगवान ने अर्जुन को सिखाया था। राजयोग अर्थात कर्मेन्द्रियों पर राज करने वाला योग, आत्मा का परमात्मा से मिलन कराने वाला योग।
  4. प्रश्न 4 – कर्मयोग क्या है?
    उत्तर – कर्मयोग अर्थात कर्म करते हुए परमात्मा को याद करना। जिससे हमारे सारे कर्म श्रेष्ठ होते है। इसलिए “योगः कर्मसु कोशलं” कहा गया है। अर्थात योग से कर्म में कुशलता आती है। परमात्मा की याद में किये हुए कर्म ही पुण्य कर्म बनते है।
  • कार्यक्रम के अंत में बीके आदर्श दीदी ने सभी को 15 मिनिट तक राजयोग ध्यान की गहन अनुभूति भी सभी को कराई।
    कार्यक्रम में बड़ी संख्या में माताएं बहनें एवं भाई उपस्थित थे।
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