तुलना और ईर्ष्या हमें पीछे खींचती है, जबकि आत्मनिरीक्षण और आत्मविकास हमें आगे बढ़ाते हैं – बीके अनुशुईया दीदी
ग्वालियर। आज मैं आपसे एक बहुत ही साधारण लेकिन बेहद ज़रूरी बात कहने आई हूँ। अपने आप पर ध्यान दो, क्योंकि जीवन वास्तव में उतना जटिल नहीं है, जितना हम इसे बना देते हैं। हम अक्सर शिकायत करते हैं समय नहीं है, संसाधन नहीं हैं, कोई मदद नहीं कर रहा, लोग हमारा साथ नहीं दे रहे। लेकिन सच यह है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन की नाव खुद ही चलानी पड़ती है। उक्त बात दिल्ली से आई राजयोगिनी बीके अनुसूईया दीदी नें ग्वालियर मालनपुर स्थित केंद्र प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय डिवाइन यूथ फोरम के दूसरे दिन के सत्र को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि
अगर हम इंतज़ार करते रहेंगे कि कोई आए और हमारे जीवन की दिशा तय कर दे, तो यकीन मानिए, हम उम्रभर किनारे पर ही खड़े रहेंगे, उस यात्रा पर कभी निकल ही नहीं पाएंगे जिसे “जीवन” कहते हैं। पहला कदम क्या है? स्वयं पर ध्यान देना।
दूसरे क्या कर रहे हैं, किस मुकाम पर हैं, उन्हें क्या मिला और हमें क्या नहीं मिला यह सोचकर हम खुद को ही खो देते हैं। तुलना और ईर्ष्या हमें पीछे खींचती है, जबकि आत्मनिरीक्षण और आत्मविकास हमें आगे बढ़ाते हैं।
याद रखिए, आपकी असली प्रतियोगिता किसी और से नहीं, बल्कि अपने ही कल के संस्करण से है।
और ध्यान रखें गलत संग का प्रभाव खुद पर न आने दे।

कार्यक्रम में दिल्ली से आई बी के वर्णिका बहन नें सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि ज़िंदगी बहुत आसान है, क्योंकि यह हमें हर दिन एक नया अवसर देती है। सीखने का, बेहतर बनने का, और खुद को साबित करने का। कठिनाइयाँ तब कठिन लगती हैं जब हम उन्हें सीखने का अवसर नहीं मानते। लेकिन जो इंसान हर चुनौती को एक सीख की तरह देखता है, उसके लिए जीवन एक प्रेरक यात्रा बन जाती है।
हम खुद ही ज़िंदगी को कठिन बना लेते हैं कभी दूसरों से तुलना करके, कभी हर बात में शिकायत करके और कभी हार के डर से प्रयास करना ही छोड़ देते हैं। लेकिन जब हम हर परिस्थिति से कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते हैं, तब वही कठिनाइयाँ हमारी ताकत बन जाती हैं। हर व्यक्ति एक शिक्षक है हम जब जीवन को खुली आंखों से देखते हैं। खुद सोचे में कहा कमजोर हूँ । मेरी सफलता में कौन सी कमजोरी आ रही जो मन को भारी करती, तो हम पाते हैं कि हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीखा जा सकता है। कोई हमें धैर्य सिखाता है, कोई हमें संघर्ष करना सिखाता है, कोई यह सिखा देता है कि गलती कैसे नहीं दोहरानी चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने एक कार्यशाला भी कराई ओर कुछ पॉइंट ऐसी निकलवाई जो श्रेष्ठ बनने में रुकावट है, और उन रुकावट को कैसे समाप्त करे। कार्यशाला में युवा बहनों से उनकी विशेषताये पर चिंतन करवाया गया कि, कैसे हम खुद की गुण विशेषता से खुद को आगे बढ़ा सकते है। और हर फील्ड में सफल बन सकते है।
ग्वालियर मालनपुर केंद्र प्रमुख बीके ज्योति बहन ने कहा कि हमें तीन बातों को त्यागना है ईर्ष्या, घृणा और क्रोध। तथा तीन बातों को अपनाना है स्वीकारता, सुनना ,आंतरिक सुंदरता और तीन मशालें जलानी हैं। सत्यता, सभ्यता और सरलता। इस प्रकार जब हम इन बातों को अपनाएंगे, निश्चित है हम सुखद समाज में अपना योगदान दे पाएंगे।
मुरैना सेवाकेंद्र प्रमुख बीके रेखा बहन दीदी नें बताया कि कन्याएं अपने आप मे महान है। मायावी शौक रंगबिरंगी दुनिया मन में आकर्षण पैदा करती हैं। तथा गलत संग लक्ष्य तक पहुंचने नहीं देता और यही वह समय है जब हम अपना लक्ष्य निर्धारित करते है। इसलिए व्यर्थ से अपनी संभाल खुद करें। इसमें राजयोग ध्यान हमें बहुत मदद करेगा।
इस अवसर पर रेखा बहन, ज्योति बहन, सुनीता बहन, जानकी बहन, नीलम बहन, मीरा बहन, सपना बहन, खुशबू बहन, अर्चना बहन, बीके प्रहलाद भाई सहित अन्य लोग उपस्थित थे।