मूल्यनिष्ठ समाज के निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका है – आदर्श दीदी

मूल्यनिष्ठ समाज के निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका है – आदर्श दीदी
ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर हुआ महिलाओं का सम्मान

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेंद्र प्रभु उपहार भवन माधौगंज में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर “मूल्यनिष्ठ समाज के निर्माण में महिलाओं का योगदान” विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के महिला प्रभाग तथा श्री गहोई वैश्य समाज कम्पू पंचायत महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य रूप से ब्रह्माकुमारीज केंद्र प्रमुख राजयोगिनी बीके आदर्श दीदी, माहेश्वरी हॉस्पिटल से सर्जन डॉ. स्वेता माहेश्वरी, गहोई वैश्य समाज कम्पू पंचायत मंडल की अध्यक्ष साधना खांगट, संरक्षक सुधा बिलैया, संरक्षक डॉ साधना गुप्ता (खर्द), वैश्य समाज चंबल अध्यक्ष राखी गेंडा, लेखिका एवं कवियत्री आशी प्रतिभा दुबे, ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन और प्रेरक वक्ता बीके प्रहलाद भाई उपस्थित थे।

कार्यक्रम में मंच संचालन कर रहीं बी के ज्योति बहन ने ब्रह्माकुमारीज के महिला प्रभाग द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों से अवगत कराया।
ततपश्चात बीके आदर्श दीदी ने सभी को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मूल्यनिष्ठ समाज के निर्माण में महिलाओं अहम भूमिका है। महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम फहरा रही हैं। चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विज्ञान, व्यापार, और यहां तक कि आध्यात्मिकता के क्षेत्र में भी महिलाओं की उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। ब्रह्माकुमारीज संस्था इसका एक अनूठा उदाहरण है, जो पूरी तरह से विश्व भर में बहनों द्वारा संचालित है। उन्होंने कहा कि जब एक महिला शिक्षित होती है, तो वह पूरे परिवार, समाज और देश को आगे बढ़ाती है।


हालांकि, महिलाओं को आज भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे- असमानता और सामाजिक बाधाएँ आदि। इन समस्याओं के समाधान के लिए हमें उन्हें समान अवसर, सम्मान और समर्थन देना होगा। तभी महिलाएँ अपनी पूरी क्षमता से समाज को मूल्यनिष्ठ बना सकती हैं। आइए, हम सब यह संकल्प लें कि महिलाओं को हर स्तर पर उनके अधिकार और अवसर प्रदान करेंगे, ताकि वे समाज को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकें।
कार्यक्रम में साधना खांगट ने महिला दिवस की बधाई दीं। और कहा कि इस दिवस का लक्ष्य महिलाओं को सक्षम बनाने के साथ साथ समाज के हर हिस्से में सुधार लाना है। इससे समाज और अधिक समृद्ध और सशक्त बन सकता है।


कार्यक्रम में बीके प्रहलाद ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि-
महिलाओं ने प्राचीन काल से ही समाज के निर्माण और मूल्य स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे एक परिवार की आधारशिला होती हैं और नैतिकता, प्रेम और सहयोग जैसे गुणों को सिखाने में अग्रणी होती हैं। एक महिला न केवल अपने परिवार की संरक्षक होती है, बल्कि समाज के हर वर्ग में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है। महिलाओं का योगदान मूल्यनिष्ठ समाज की दिशा में अमूल्य है। अगर हम उन्हें हर क्षेत्र में प्रोत्साहन और सहयोग प्रदान करें, तो हमारा समाज अधिक नैतिक, सशक्त और प्रगतिशील बनेगा।
सकारात्मक चिंतन के लिए सभी को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिंतन केवल एक विचार नहीं है, बल्कि यह हमारे व्यावहारिक जीवन को सुदृढ़ और संतुलित बनाने का एक प्रभावी साधन है। हमारे जीवन में अनेक चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन सकारात्मक सोच के माध्यम से हम उनका समाधान कर सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। सकारात्मक चिंतन हमारे जीवन से तनाव को कम करता है तथा समस्याओं का समाधान करने में हमें एकाग्रता प्रदान करता है। सकारात्मक चिंतन का प्रभाव न केवल हमारे संबंधों पर पड़ता है बल्कि इससे हम शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रह सकते है। व्यावहारिक जीवन में सकारात्मक चिंतन को हम अपने जीवन का हिस्सा बना लें यदि, तो हम अपने जीवन में अद्भुत बदलाव ला सकते हैं।
कार्यक्रम में डॉ. स्वेता माहेश्वरी ने कहा, “माता को अपने बच्चों, विशेषकर बेटियों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए। महिलाओं को शिक्षित करना समाज के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा से महिलाएं आत्मनिर्भर और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकती हैं। महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, और इसकी शुरुआत हमें अपने घरों से करनी होगी।”


कार्यक्रम में डॉ साधना गुप्ता ने कहा, “जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है।”
राखी गेंडा ने कहा, “कहते हैं कि नारी का अपना कोई घर नहीं होता, पर सच्चाई यह है कि नारी के बिना कोई घर नहीं होता। हमें केवल इस विशेष दिन पर ही नहीं, बल्कि हर दिन महिलाओं का सम्मान करना चाहिए।”
कार्यक्रम में सुधा बिलैया और आशी प्रतिभा दुबे ने भी अपने विचार रखे।


कार्यक्रम के अंत में संस्थान के द्वारा अलग अलग क्षेत्र की महिलाओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। जिसमें आईटीएम यूनिवर्सिटी से असि. प्रोफेसर सोनाली सिंह, केआरजी कॉलेज से प्रोफेसर डॉ निधि नोगरैया, रश्मि कुचिया, सुनीता यादव, कंचन तोतलानी, छाया, अनुराधा नीखरा, ममता मेहदेले, एडवोकेट
शिल्पा डोंगरा सहित मंचासीन बहन शामिल थी।

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