ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाई गई शिवरात्रि

अंधकार को मिटाकर ज्ञान की ज्योत जगाएं – आदर्श दीदी

महाशिवरात्रि जैसे पावन पर्व पर ऐसे केंद्र पर आना अत्यंत सुखद अनुभूति कराता है – आशीष प्रताप

शिव पर कांटों के समान चुभने वाली बातें अर्पित कर दें- प्रहलाद भाई

शिव ध्वजारोहण कर लिया बुराइयों को छोड़ने का संकल्प

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र प्रभु उपहार भवन माधौगंज में संस्थान के द्वारा 89 वीं महाशिवरात्रि बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाई गई।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज सेवाकेन्द्र संचालिका राजयोगिनी बीके आदर्श दीदी, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़, जीवाजी क्लब के सचिव संजय वर्मा, रेल्वे से सेवानिवृत राजेन्द्र सिंह बैस, व्यापर क्षेत्र से जुड़े गजेन्द्र अरोरा, संजय खत्री, संतोष बंसल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुवात शिव भोलेनाथ कि पूजा अर्चना से हुई। तत्पश्चात सुंदर झांकी के सभी ने दर्शन किए एवं बाल कलाकारों द्वारा शिव के गीतों पर सुंदर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दीं गयीं जिस पर सभी श्रद्धालु झूम उठे।
तत्पश्चात केंद्र प्रमुख आदर्श दीदी ने सभी को पावन पर्व शिवरात्रि की शुभकामनायें दीं और कहा कि महाशिवरात्रि का महापर्व कई आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए हैं। यह पर्व सभी पर्वों में महान और श्रेष्ठ है, क्योंकि शिवरात्रि परमात्मा के दिव्य अवतरण का यादगार महापर्व है।

ज्योतिर्बिंदु स्वरूप हैं परमात्मा –
भारत में 12 ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध हैं और गली-गली में शिवालय बने हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि वह परमपिता परमात्मा कभी इस सृष्टि पर आएं हैं और विश्व कल्याण का कार्य किया है, तभी तो हम उन्हें याद करते हैं। परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है। श्रीमद्भ भगवत गीता से लेकर महाभारत, शिव पुराण, रामायण, यजुर्वेद, मनुस्मृति सभी में कहीं न कहीं परमात्मा के अवतरण की बात कही गई है। किसी भी धर्म ग्रंथ में परमात्मा के जन्म लेने की बात नहीं है। हर जगह प्रकट होने, अवतरण पर परकाया प्रवेश की बात को ही इंगित किया गया है। क्योंकि परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं होता है। वह परकाया प्रवेश कर नई सतयुगी सृष्टि की स्थापना का दिव्य कार्य कराते हैं। शिव जन्म-मरण से न्यारे हैं। ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के भी रचयिता त्रिमूर्ति हैं, जिन्हें हम परमात्मा शिव कहते हैं।
वर्तमान कलियुग का सारा काल ही महारात्रि –
वर्तमान समय कलियुग का अंतिम चरण चल रहा है। यह सारा काल, रात्रि अथवा महारात्रि ही है। हम सभी नर-नारियों को यह शुभ संदेश देना चाहते हैं कि अब परमपिता परमात्मा शिव संसार को पावन तथा सुखी बनाने के लिए फिर से प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर सहज राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं। अत: हम सबका कर्तव्य है कि उनकी आज्ञानुसार हम पवित्रता और शुद्धता का पालन करें और शिव को अर्पण होकर संसार की ज्ञान से सेवा करे। वास्तव में यही सच्चा व्रत है। इसका फल मुक्ति और जीवन-मुक्ति की प्राप्ति माना गया है। अब मनुष्यों को चाहिए कि विकारों रूपी विष से नाता तोड़कर परमात्मा शिव से अपना नाता जोड़े। और अंधकार को मिटाकर ज्ञान की ज्योत जगाएं।

कार्यक्रम में आशीष प्रताप सिंह राठौड़ ने कहा कि महाशिवरात्रि जैसे पावन पर्व पर ऐसे केंद्र पर आना अत्यंत सुखद अनुभूति कराता है। जहां पर चेतना के उन्नयन का अनुसंधान होता हो। सर्वे भवंतु सुखिनः और वसुदेव कुटुंबकम जैसे दिव्य भाव भारत की मृत्युंजयि हिंदू वेदिक सनातन संस्कृति का मूल है।

शिव पर कांटों के समान चुभने वाली बातें अर्पित कर दें-


कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने सभी को शिवरात्री के पावन पर्व कि शुभकामनाएं दी तथा सर्व आत्माओं के परमपिता परमात्मा शिव भोलेनाथ कि महिमा करते हुए कहा कि शिव पर कांटों के समान चुभने वाली बातें अर्पित कर दें।
महाशिवरात्रि पर्व पर हम शिवालयों में अक-धतूरा, भांग आदि अर्पित करते हैं। इसके पीछे आध्यात्मिक रहस्य यह है कि जीवन में जो कांटों के समान बुराइयां हैं, गलत आदतें हैं, गलत संस्कार हैं, कांटों के समान बोल, गलत सोच को आज के दिन शिव पर अर्पण कर मुक्त हो जाएं। हम दुनिया में देखते हैं कि दान की गई वस्तु वापस नहीं ली जाती है। इसी तरह परमात्मा पर आज के दिन अपने जीवन की कोई एक बुराई जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही है, सफलता में बाधक है उसे शिव को सौंपकर मुक्त हो जाएं। अपने जीवन की समस्याएं, बोझ उन्हें सौंप दें। फिर आपकी जिम्मेदारी परमात्मा की हो जाएगी।
एक बच्चे का हाथ जब उसके पिता पकड़कर चलते हैं तो वह निश्चिंत रहता है। इसी तरह हम भी यदि खुद को परमात्मा को सौंपकर जीवन में चलते हैं तो सदा निश्चिंत रहते हैं। परमपिता शिव इस धरा पर अवतरित होकर हम सभी विश्व की मनुष्यात्माओं को सहज राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं। परमात्मा आह्नान करते हैं मेरे बच्चों तुम मुझ पर अपनी बुराइयों अर्पण कर दो। अपने बुरे विचार, भावनाएं, गलत आदतें शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है। अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर जीवन में ज्ञान की ज्योत जगाएं। जिसे हम युगों-युगों से पुकार रहे थे, जिसकी तलाश में हमने वर्षों तक जप-तप और यज्ञ किए। आज वही भगवान इस धरा पर पुन: अवतरित हो चुके हैं। अपने पांच खोटे सिक्के अर्थात् काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को प्रभु को अर्पण कर रोज ईश्वर के दर पर एक बार आना है।

कार्यक्रम में संजय वर्मा ने कहा कि महादेव सभी को अमृत देते है और विश्व कल्याण के लिए स्वयं बुराइयों रूपी विष पान करते है। महादेव की कृपा इसी तरह से सभी पर बनी रहे। ऐसी हम शुभकामना करते है।
कार्यक्रम में राजेन्द्र सिंह, गजेन्द्र अरोरा, संजय खत्री आदि ने अपनी शुभकमानयें रखीं। अंत मे शिव भोलेनाथ कि जयकारा के साथ शिव ध्वजारोहण हुआ।


कार्यक्रम में सैकड़ों कि संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।


इसी तरह से ग्वालियर के अन्य सभी सेवाकेन्द्रों पर भी शिवरात्रि पर कार्यक्रम आयोजित हुए एवं शिव ध्वज लहराया गया।

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