ब्रह्माकुमारीज के स्थानीय सेवाकेंद्र ओल्ड हाईकोर्ट पर योग साधना शिविर

खुशी मनुष्य के जीवन का श्रृंगार है। खुशी के बिना जीवन को बेहतर नहीं बनाया जा सकता। इसलिए खुशी के लिए कहा गया है कि खुशी जैसी खुराक नहीं। इसलिए खुशी के लिए नहीं खुश होकर कार्य करें।
उक्त बात माउंट आबू से आए राजयोगी बीके आत्मप्रकाश भाई ने ध्यान साधना शिविर के समापन सत्र में कही। आज भाई जी का सुबह का सत्र ब्रह्माकुमारीज के पुराने हाई कोर्ट लाईन स्थित संगम भवन केंद्र पर आयोजित हुआ ।

भाई जी ने आगे कहा कि आज ज्यादातर लोग स्थूल साधनों में खुशी को तलाश रहे है। जबकि खुश रहना आत्मा का मूल गुण है। जब हम खुश होकर कार्य करते है तो हमें हर कार्य मे सफलता मिलती है। नित प्रतिदिन राजयोग का अभ्यास करने से हम अपनी खुशी के स्तर को बढ़ा सकते है।


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान समय अत्यंत कल्याण कारी समय चल रहा है। जिसे पुरुषोत्तम संगम युग कहते है। यह युग कलयुग का और सतयुग के बीच का समय है। जो लोग इस समय को पहचानकर बुराईयों को छोड़ दिव्यगुण धारण करने का प्रयास करते है। उन्हें परमात्मा की मदद मिलती है।


उन्होंने कहा कि समय परिवर्तन शील है। सृष्टि का चक्र घूमता रहता है। सतयुग बीत गया, त्रेतायुग बीत गया, द्वापर युग बीत गया और अब कलयुग भी बीतने बाला है। परमपिता परमात्मा शिव निराकार ज्योति बिंदु स्वरूप है। वह बड़ी गुप्त रीति से कलयुग के अंत में इस धरा पर दिव्य रीति से अवतरित होते है इसलिए उन्हें गुप्तेश्वर भी कहा जाता है। परमात्मा हमारी और आपकी तरह कभी जन्म मरण में नहीं आते है। वल्कि अवतरित होकर सृष्टि के नव निर्माण का कार्य करते है गीता में किये वायदे के अनुसार जब धर्म की अति ग्लानि होती तब परमात्मा इस धरा पर आते है और अधर्म अत्याचार का नाश कर एक सत्य धर्म की स्थापना करते है अर्थात इस कलयुगी दुनिया को सतयुगी दुनिया मे बदल देते है।


यह प्रभु मिलन का कल्याण कारी समय है। इसलिए सभी इस समय को पहचानते हुए बुराइयों को छोड़ने का संकल्प लें और घर परिवार में रहकर कर्म करते हुए परमात्मा को याद करें तो जीवन दिव्य बन जायेगा।

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